Sunday, February 12, 2017

संस्कृति और राजनीति

संस्कृति और राजनीति

देश के रानीतिक षड्यंत्रों ने
सांस्कृतिक धरोहर का हरन कर रखा हॆ
वरन  समाज को विषम कर रखा है
समाजवाद और धर्म निरपेक्षता ने
संस्कृति को आवाम कर  रखा हॆ
जातिवाद के नाम पर सारी सभ्यता
और संस्कृति को दागी बना कर  रखा हॆ
लोकत्रंत्र के नियमो ने संस्कृति को
प्रस्तर समान कर रखा हे
पाश्चत्य संस्कृति का अभिनव बिगुल अस्त कर रखा हॆ !!
वोटो के लालच में धान और शराब बाट रहे हे
सत्ता की कुर्सी पाने  लिए संस्कृति के विपरीत जा रहे हॆ !!
यहाँ कलाकार की कला विलुप्त हो रही हे ,
संस्कृति भी दल-दल हो रही है ,
नेता ही नेता भूमंडल का  हरन कर रहे है
भूमंडल ही नही पुरे परिवेश का समाविष्ट रूप से
दहन कर रहे हे !
पेसो की भूख में सब अंधे हो रहे है ,
संस्कृति की अहमियत को धुंधला कर रहे हे ;
संस्कृति के विपरीत जा रहे है ,
अपराधिकता को स्वयं जन्म दे रहे हे ,
गवाही में संस्कृति के जड़त्व को बदल रहे हे ,
नेता ही नेता से खिलवाड़ कर रहे है ,
आपस ही आपस में मतभेद कर रहे हे !!
टेबल के नीचे से ही लेन -देन  कर के
नशीले -पदार्थो के सेवन पर खुद ही
लाइसेंस -एग्रीमेंट पास कर रहे है !!
भुत को भुलाकर भविष्य बनाने जा रहे है ,
वर्तमान को अवशेषों के समान रजा में मिला  रहे है
पश्चिमी संस्कृति को अपना कर के
विदेशो मे  प्रसिद्ध होने जा रहे हे ,
'बार' मे नाचकर केबेटीयो को छोटे -छोटे कपड़ो में
देख कर मानो छाती फुला रहे हे !
अपनी मुल संस्कृति को कलंकित होता देख
राजनीति -राजनीति गा रहे है !!
जैसे अपने ही षड्यंत्रों से मानो लगी मुहर पर
कामयाबी का जश्न  मना रहे !!

                                                                                                                                Deepanshu Samdani
                                                                                                                                       Poems Addicted
                                                                                                          (deepanshusamdani.blogspot.com)

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