कुछ देर तो लगती है
यादों को भुलाने मे कुछ देर तो लगती है
आँखों को सुलाने मे कुछ देर तो लगती है
नजर चुराकर अफ्साने बनाले अपने तो
दिल को यकीन दिलाने मे कुछ देर तो लगती है
भरी महफिल मे जब अपने अचानक याद आ जाये
फिर आँसू छुपाने मे कुछ देर तो लगती है
किसी शख़्स को भुला देना इतना आसाँ नहीं होता
दिल को समझाने मे कुछ देर तो लगती है
जब बिन मिले तुमसे प्यार कर बैठे थे तो
अब इकरार करने मे कुछ देर तो लगती है
जो शख़्स जान से भी प्यारा हो, अचानक दूर हो जाये
दिल को यक़ीन दिलाने मे कुछ देर तो लगती है
जब किस्सा याद करू मे अपने हसीन पल का
तो उस वृतांत को भुलाने मे कुछ देर तो लगती है
जब बातो का सिलसिला कम होने लगा है तो
उन बातो को भुलाने मे कुछ देर तो लगती है
एहसास करा दिया जब उन्होंने बेगाने होने का तो
रिश्तों को सीमाओं मे रहकर निभाने मे कुछ देर तो लगती है
कभी दिल की हर बात साझा कर लिया करते थे ,जिनसे
अब उनसे दिल्लगी करने मे कुछ देर तो लगती है
फिर अपनी अधुरी किताब प्यार की खोलु तो
उसे पुरा करने के लिए कुछ देर तो लगती है
जब तुम्हें ही सारी जिंदगी मान बैठे तो
तुमसे दुर जाने के लिए ये जिंदगी भी कम लगती है
अब फिर दिल को यकीन दिलाने मे कुछ देर तो लगती है!!
अब फिर दिल को यकीन दिलाने मे कुछ देर तो लगती है!!
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