Thursday, January 26, 2017

मेरा वतन

मेरा वतन

सुहाने मौसम में सुहाना सफर हो
तिरंगे  की महक दिलो के अरमान में हो
युही लहराता रहे ये तिरंगा शान से
मेरे वतन में ;
ये आन -बान -शान  हे मेरे वतन की !
सौगंध है माटी की ना लगने  देंगे कीमत
मेरे वतन की ,
मशहूर हॆ तिरंगा मेरे वतन का सारे जहाँ में
ना झुकने देंगे कभी ,
चाहे लहू -लुहान क्यों ना  होना पड़े
मुल्क हे मेरा प्रेम , विविधता ,एकता
और अनेकता का प्रतीक हॆ ;
शुरता हॆ अशोक चक्र की ,
ज्योती हॆ अमर जवान की ,
बलिदानी हॆ शहीदो की ,
सलामी हे सीमा के जवानों की
प्रतीकता हे वीरता और शांति की
यही खुबसुरती हे मेरे तिरंगे के
आन-बान -शान की !!
गगन से पाताल तक जल -थल -वायु  के जवान हे ,
वीरता  की कमान हे
शुरता की शान हे
आतंकवाद की मशाल बुझाने वाली तोपो की आवाज हे ;
सम्राट हे अशोक का ,
शान है  प्रधान की
वीरता है  जवान की ,
रंग है  हरियाली के,
लहर है तिरंगे की ,
मोहर हे मेरे देश की सारे जग में
विरता ,शुरता ,प्रेम और बलिदान की !!
 
                                                                                                                               Deepanshu Samdani
                                                                                                                                      Poems Addicted
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Wednesday, January 11, 2017

रिश्ते और रास्ते

रिश्ते  और रास्ते

जिंदगी  की भाग दौड़ में
रिश्तो की बागडोर भुल ही  गया
अपने लिए ही अपनों की  अहमियत  भुल गया !
जैसे मै चुप भी रहा और बात कही भी
जैसे की में हुँ और नहीं भी !!
आजकल  उँगलिया ही  निभा रही हैं
मोबाइल पर रिश्तो को ,
जुबा को अब निभाने में बड़ी तकलीफ  हो रही हें
सब  टच में बीजी हे ,चाहे कोई टच में हो हो
जरूरत तो हैं सभी को रिश्तों की और रिश्तो को निभाने की ,
किन्तु सभी अपने आप में बीजी हैं !
रिश्ते भी क्या अनोखे  होते ;
कभी रास्ते पर चलते-चलते रिश्ते बन जाते
और कभी रिश्ते निभाते-निभाते रास्ते बदल जाते ,
रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के  के दो पहलु हैं !
रिश्ते की क्या कीमत अदा करू
विपत्ति पर सबसे  पहले  अपने ही याद आते
तभी रिश्तो की अहमियत महसुस होती ,
रिश्ते निभाना भी अदाकारी हैं ;
फुलो को धागे से बाँधे रखना उदाहरण हैं  ,
ये रिश्ते हें ,जो निभाने से निभ जाते हे ,
वरना आज के दौर में
बिना टच में रहकर भी टच से रह जाते है !
रिश्ते तो दर्पण होते ,निभाते तो सुरत दिखाते ,
ये तो अदाकारी हे रिश्ते निभाने की
वरना रिश्ते और रास्ते तो चलतेचलते बन जाते ,
रिश्तो  की अहमियत  तो राहो के मोड़ पर पता चलती
जहाँ मोड़ जाते वहाँ रिश्ते निभ जाते !
अपनों से रिश्ते बनाकर निभाने में तकलीफ बड़ी होती ,
किन्तु तकलीफ पर काम आने वाले रिश्ते भी अपने होते !
कहते हैं ;
रिश्तो की महक भी खुबसूरत  होती
अपनों की महफ़िल में खुशबू  भर देती ,
रिश्तो से ही तो सम्बन्धो की रौनक  हैं
वरना तो अपनों के बिना गुड की मिठास भी फिकी सी हैं !
जिंदगी की इस भागदौड़ में
रिश्तो की बागडोर को बनाए रखना
और रिश्तों को रास्तो पर बनाए रखना
रिश्ते और रास्तो की अदाकारी है !!


                                                                                                                     Deepanshu Samdani
                                                                                                                            Poems Addicted
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Wednesday, January 4, 2017

एक बार मुझे जी भर रो लेने दे


  
एक बार मुझे जी भर रो लेने  दे 

   
एक बार मुझे जी भर रो लेने  दे
सारे गम और ख़ुशी को बहाने दे
इन मोतियों को कभी अपने लिए तो
कभी अपनों के लिए बहाने  दे
बस खुबसुरत वो  एक पल मिल जाए
किसी की ख़ुशी के लिए या गम के  लिए ही सही ,
बस एक बार जी भर रो लेने  दे !!
कभी अपनों  को याद करके तो
कभी अपनों की याद मे
बस एक बार इन अश्रु को बहने दे ,
तनिक सी  बात पर मुझसे अपने ही खफा हो  बैठे
उन्हें समझातेसमझाते ये आँसू भी
क्षणिक क्षण के लिए ना  रुके ,
रुकते भी तो कैसे ,भय था की
कही अपने ही अप्साने  ना बन  बैठे ,
एक बार ही सही  मुझे जी भर रो लेने  दे ;
चाहे अपनों  की याद मे ,
चाहे अपनों  को याद  करके !!
इन मधुर संबंधों की मिठास को गहरा  करने के लिए ही सही ,
एक बार अपनों को गले लगाकर ही सही
बस एक बार , इन अनगढ़ मोती को बह लेने दे ;
ख़ुशी या गम के लिए  सही
एक बार ही सही  मुझे जी भर रो लेने  दे ;
एक बार ही सही  मुझे जी भर रो लेने  दे !!
जब ख़ुशी के  अवसर पर आँसू बह जाए ;
ऐसे   खुबसूरत एक पल मिल जाए ;
ऐसे अवसर को क्या अल्फाज  की जरूरत
अल्फाज - -मोती बह जाए ;  इन अश्रु से !!
बस एक खुबसुरत पल मिल जाए !
इन अश्रु- -मोती की क्या कीमत अदा करू मे ;
ये मोती बनकर गुलाब की पंख़ुड़ी पर गिर जाए तो
सीप बनकर  खिल जाए ;
काश वो एक खुबसुरत पल मिल जाए !!
किस्मत भी क्या अनोखी  होती ,
हर अंतिम समय पर अपनों को ही अलग कर  देती ,
चाहे ख़ुशी का मौका हो या  गम का ;
हॆ मालिक ! तुझसे एक ही विनती है ;
अपनों के लिए ही सही अपनों को -अपनों  मिलाकर ;
सारे गम को भुलाकर एक बार ही सही
जी भर रो लेने  दे;
जी भर रो लेने  दे !!

                                                                                                                                                        Deepanshu Samdani
                                                                                                                                    Poems Addicted
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