मेरा
वतन
सुहाने मौसम में सुहाना सफर हो
तिरंगे की महक दिलो के अरमान में हो
युही लहराता रहे ये तिरंगा शान से
मेरे वतन में ;
ये आन -बान -शान हे मेरे वतन की !
सौगंध है माटी की ना लगने देंगे कीमत
मेरे वतन की ,
मशहूर हॆ तिरंगा मेरे वतन का सारे जहाँ में
ना झुकने देंगे कभी ,
चाहे लहू -लुहान क्यों ना होना पड़े
मुल्क हे मेरा प्रेम , विविधता ,एकता
और अनेकता का प्रतीक हॆ ;
शुरता हॆ अशोक चक्र की ,
ज्योती हॆ अमर जवान की ,
बलिदानी हॆ शहीदो की ,
सलामी हे सीमा के जवानों की
प्रतीकता हे वीरता और शांति की
यही खुबसुरती हे मेरे तिरंगे के
आन-बान -शान की !!
गगन से पाताल तक जल -थल -वायु के जवान हे ,
वीरता की कमान हे
शुरता की शान हे
आतंकवाद की मशाल बुझाने वाली तोपो की आवाज हे ;
सम्राट हे अशोक का ,
शान है प्रधान की
वीरता है जवान की ,
रंग है हरियाली के,
लहर है तिरंगे की ,
मोहर हे मेरे देश की सारे जग में
विरता ,शुरता ,प्रेम और बलिदान की !!
Deepanshu Samdani
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