एक बार मुझे जी भर रो लेने दे
एक बार मुझे जी भर रो लेने दे
सारे गम और ख़ुशी को बहाने दे
इन मोतियों को कभी अपने लिए तो
कभी अपनों के लिए बहाने दे
बस खुबसुरत वो एक पल मिल जाए
किसी की ख़ुशी के लिए या गम के लिए ही सही ,
बस एक बार जी भर रो लेने दे !!
कभी अपनों को याद करके तो
कभी अपनों की याद मे
बस एक बार इन अश्रु को बहने दे ,
तनिक सी बात पर मुझसे अपने ही खफा हो बैठे
उन्हें समझाते- समझाते ये आँसू भी
क्षणिक क्षण के लिए ना रुके ,
रुकते भी तो कैसे ,भय था की
कही अपने ही अप्साने ना बन बैठे ,
एक बार ही सही मुझे जी भर रो लेने दे ;
चाहे अपनों की याद मे ,
चाहे अपनों को याद करके !!
इन मधुर संबंधों की मिठास को गहरा करने के लिए ही सही ,
एक बार अपनों को गले लगाकर ही सही
बस एक बार , इन अनगढ़ मोती को बह लेने दे ;
ख़ुशी या गम के लिए सही
एक बार ही सही मुझे जी भर रो लेने दे ;
एक बार ही सही मुझे जी भर रो लेने दे !!
जब ख़ुशी के अवसर पर आँसू बह जाए ;
ऐसे खुबसूरत एक पल मिल जाए ;
ऐसे अवसर को क्या अल्फाज की जरूरत
अल्फाज -ए -मोती बह जाए ; इन अश्रु से !!
बस एक खुबसुरत पल मिल जाए !
इन अश्रु-ए -मोती की क्या कीमत अदा करू मे ;
ये मोती बनकर गुलाब की पंख़ुड़ी पर गिर जाए तो
सीप बनकर खिल जाए ;
काश वो एक खुबसुरत पल मिल जाए !!
किस्मत भी क्या अनोखी होती ,
हर अंतिम समय पर अपनों को ही अलग कर देती ,
चाहे ख़ुशी का मौका हो या गम का ;
हॆ मालिक ! तुझसे एक ही विनती है ;
अपनों के लिए ही सही अपनों को -अपनों मिलाकर ;
सारे गम को भुलाकर एक बार ही सही
जी भर रो लेने दे;
जी भर रो लेने दे !!
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