अधुरी किताब
में एक रंगीन किताब हुँ
मुझे पढ़ले या मुझे भरले
सरल शब्द का साज हुँ
कलम की स्याही की बनावट हुँ
शाब्दिक शब्दों का भावार्थ हुँ
खुल्ले पन्नो की एक अधुरी किताब हुँ !!
हर पहेली का जवाब हुँ
प्यार के रंग का अल्फाज हुँ
गीत का नग्मा , सुर का साज हुँ
रंगीन दुनिया की अप्रकाशीत किताब हुँ !!
वर्णित शब्द की शब्दावली हुँ
प्रेम के व्याकरण का बखान हुँ
दीप ज्योति का युग्म हुँ
प्रेममय दुनिया की रसमय किताब हुँ !!
दीप के अंश से ,
बिखेर रही हुँ घटाए प्रकाश की
शैली के शब्द ,वाणी के बोल से
गीतांजली के गीत गा रही हुँ ;
में एक रंगीन किताब हुँ ,
दुनिया के रंग बिखेर रही हुँ !!
अम्बर के नीर से ,रजा के कण तक
प्रेम -पुष्प की वर्षा को लिखने वाली
इस खुबसुरत दुनिया की
अधुरी किताब हुँ....
अधुरी किताब हुँ....!!
Deepanshu Samdani
Poems Addicted
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