Saturday, September 2, 2017

BLOG- दोस्त- दिल की बात

   दोस्त- दिल की बात 

शब्दों की शालीनता ,रुप ,और उनकी रचना
का प्रयोग ही समस्त है , इस दौर में !!
जब घायल करना ही है तो क्यों हथियार
आजमाते हो !!
जब शब्द ही इतने है , तो क्यों नही अपना
ये हथियार आजमाते हो !!


बेबस ,नादान ,शायद असमझ परिंदे है ,
बस उसी लाचारी का फायदा उठा रहे हो दोस्त,
ये तो हमने दोस्ती निभाने का वादा किया था ,
एक वाक्य कहा था मेने  पहले कि ,
दोस्ती मुझसे भी कर के देखो मे भी
उस कश्ति की पतवार हुँ ,
जिसे कभी डुबने नही दुंगा !! .....
बस उसी रस्म को अदा करने का प्रयत्न करते रहते है !!
कभी-कभी शायद ये पतवार लहरों के बहाव से डगमगा
जाती है ,किन्तु साथ कभी नही छोडती
बहाव के पर्यन्त फिर से अपनी कश्ति को किनारा लगाने कि रस्म अदा करती है
शायद कुछ तो अपने ही बनाए दोस्त से नाराज हो जाते है ,
हम तो दिल भी दोस्ती में खो बैठे है ,
जो हर बार माफी मांग लिया करते है , और गलती का इलजाम भी अपने पर ही रख लेते हैं  !
यही तो जिंदगी जीने का रब ने एक जरिया दिया है,
अगर फिर यह भी खो बैठे तो रस्म--मस्ती का मजा कहा से आएगा ,
और जब दोस्त नाराज भी हो गए तो तुम्हें मनाने का पुरा हक भी तो है
क्योंकि दोस्त भी तो तुम मेरे ही हो !!
जाने लोग मुल्यवान होने के लिए क्यों अपनी सारी जिंदगी  हीरे ,जवारतोे मे निकाल देते हैं ;
सच कहूँ तो सारे जग मे सबसे मुल्यवान एक दोस्त ही तो होता है ,
जिसकी आप चाहकर भी कभी किमत अदा नही कर सकते हो !!
दोस्ती के लिए ही सही एक बार पहले ही माफी मांग लेता हुँ ;
असमझ , नादान परिंदा हुँ ,शायद कोई जाने अंजाने मे
कोई गलती कर बैठु !!

Deepanshu Samdani
Poems Addicted

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