Tuesday, April 7, 2020

मेरे मुल्क की बेटियां

मेरे मुल्क की बेटियां

मेरे मुल्क की बेटियां बेआबरू हो रही है
उसकी हिफाजत कैसे लिखुँ ,
जब संविधान ही उसके गुनहगारों को
जुर्म--सजा नही सुनाता तो
उसकी शोहरत को अना कैसे लिखुँ ,
जब आवारा घुम रहे है आजाद होकर
तो उन अप्सराओं की खुबसुरती कैसे लिखुँ ,
फुल के कत्ल के कातिलों के खिलाफ हुँ
लेकिन अदालत के आगे अपने मुल्क कि बेटियों को
गुलबदन कैसे लिखुँ..?

माँ के अवतार मे जन्म ले रही बेटी को गिरता देख
उसकी खिदमत कैसे लिखुँ..?

जो अन्दर ही अन्दर जल रही है
उसका मनोभाव कैसे लिखुँ ,
मेरे मुल्क की बेटी बेआबरू हो रही
उसका अफसाना कैसे लिखुँ..?
वाह! मेरे देश , तेरे यहां बेटी को माँ समान माना जाता हैं
उसके दामन को मिटता देख मैं उसे खुदा कैसे लिखुँ ...?
Deepanshu Samdani
Poems Addicted

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