चुनाव
आज फिर तनाव हैं,
सुना हैं, इस बार फिर चुनाव हैं!
सब तरफ वोटो का बवाल हैं,
नेता फिर बेहाल हैं!!
बार-बार एक ही सवाल हैं,
इस बार किसकी सरकार हैं!
ख्वाब सबका एक ही हैं,
दृष्टि नोटों की बस्ती पर ही हैं !!
अभी नेता सब विनय-मुद्रा में हैं ,
बाद चुनाव मुद्रा-विनीमय में!
लक्ष्य सबका विकास हैं,
बात नहीं इनमें कोई खास हैं !!
तनाव कि विकट घडी़ आई हैं
सोच सबने एक ही बनाई हैं ,
कदम से कदम मिलाकर चलना हैं
पांच साल बाद ही मिलना हैं !!
भर्ष्टाचार को ही शिष्टाचार बनाया हैं ,
घोटाला करना ही नियम बनाया हैं!
काम किया हो या ना किया हो
काम गिनाने का ही इतिहास बनाया हैं !!
सुना हैं कि फिर चुनाव का मौसम आया हैं,
साथ अपने फिर तनाव लाया हैं !!
सुना हैं, इस बार फिर चुनाव हैं!
सब तरफ वोटो का बवाल हैं,
नेता फिर बेहाल हैं!!
बार-बार एक ही सवाल हैं,
इस बार किसकी सरकार हैं!
ख्वाब सबका एक ही हैं,
दृष्टि नोटों की बस्ती पर ही हैं !!
अभी नेता सब विनय-मुद्रा में हैं ,
बाद चुनाव मुद्रा-विनीमय में!
लक्ष्य सबका विकास हैं,
बात नहीं इनमें कोई खास हैं !!
तनाव कि विकट घडी़ आई हैं
सोच सबने एक ही बनाई हैं ,
कदम से कदम मिलाकर चलना हैं
पांच साल बाद ही मिलना हैं !!
भर्ष्टाचार को ही शिष्टाचार बनाया हैं ,
घोटाला करना ही नियम बनाया हैं!
काम किया हो या ना किया हो
काम गिनाने का ही इतिहास बनाया हैं !!
सुना हैं कि फिर चुनाव का मौसम आया हैं,
साथ अपने फिर तनाव लाया हैं !!
Deepanshu Samdani
Poems Addicted
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