मज़दूर- देश का निगार
महफूज नहीं कर्मठता का भाव हुँ
कर्म शक्ति से बना हुआ श्रमिक हुँ !
तुफानों से भरा हुआ खतरों सा खाली नहीं
भावनाओं का प्रचण्ड तुफान हुँ !!
नाकाम, नाकाबिल नहीं देश का निगार हुँ
विचारों का बहता दरिया हुँ !
मुसिबतों से डरता नहीं
पर अपनी ताकत से अंजान हुँ !!
मैं मजबूर नहीं मजबूत आकार हुँ
मैं प्रस्तर नहीं देश की दीवार हुँ !
सुरक्षा का मुझे अभाव नहीं
मैं प्राणियों मे सबसे महान हुँ !!
जवान, जोश और जुनून का सैलाब हुँ
सुरक्षा का औजार हुँ !
आगजनी के आगोश से डरता नहीं
खिलखिलाते हिन्दुस्तान का आफताब हुँ !!
कल्पनाओं कि सुन्दर उडान हुँ
आवारा आसमानी आसमां हुँ !
हिफाजत की मुझे आवश्यकता नहीं
मैं आजाद हिन्दुस्तान की आवाज़ हुँ !!
कर्म शक्ति से बना हुआ श्रमिक हुँ !
तुफानों से भरा हुआ खतरों सा खाली नहीं
भावनाओं का प्रचण्ड तुफान हुँ !!
नाकाम, नाकाबिल नहीं देश का निगार हुँ
विचारों का बहता दरिया हुँ !
मुसिबतों से डरता नहीं
पर अपनी ताकत से अंजान हुँ !!
मैं मजबूर नहीं मजबूत आकार हुँ
मैं प्रस्तर नहीं देश की दीवार हुँ !
सुरक्षा का मुझे अभाव नहीं
मैं प्राणियों मे सबसे महान हुँ !!
जवान, जोश और जुनून का सैलाब हुँ
सुरक्षा का औजार हुँ !
आगजनी के आगोश से डरता नहीं
खिलखिलाते हिन्दुस्तान का आफताब हुँ !!
कल्पनाओं कि सुन्दर उडान हुँ
आवारा आसमानी आसमां हुँ !
हिफाजत की मुझे आवश्यकता नहीं
मैं आजाद हिन्दुस्तान की आवाज़ हुँ !!
Deepanshu Samdani
Poems Addicted deepanshsamdani.blogspot.com
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