माँ
प्यार है जिसका अनुठा
मन है जिसका चंचल
ममता है जिसकी मम्तत्व
कर है जिसके मुलायम
कमल है जिसका आसन्
बोल है जिसके अनमोल
वाणी है जिसकी मृदुल
अम्बा है जिसका रूप
सार है जिसमे जग का
सारांश छिपा है सब का ।
सृजन हुआ है जिससे सृष्टि का
शासन है उसका जग पर
अनुशासन है जिसका हम पर
उस जन्म-विधाता "माँ- उमा"
को मेरा नत्मस्तक वंदन है ।।
Deepanshu Samdaniमन है जिसका चंचल
ममता है जिसकी मम्तत्व
कर है जिसके मुलायम
कमल है जिसका आसन्
बोल है जिसके अनमोल
वाणी है जिसकी मृदुल
अम्बा है जिसका रूप
सार है जिसमे जग का
सारांश छिपा है सब का ।
सृजन हुआ है जिससे सृष्टि का
शासन है उसका जग पर
अनुशासन है जिसका हम पर
उस जन्म-विधाता "माँ- उमा"
को मेरा नत्मस्तक वंदन है ।।
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