रिमझिम -झिमझिम बारिश मे
काली घटाएँ घनघोर गगन में छा रही हैं
महकती खुशबु रजा की धरा से आ रही हैं
मनोरम दृश्य प्रकृति का अतिविशिष्ट बन रहा है
गरजना बरसना बादल का चल रहा है ।।
आसमां अनुपम हो रहा है ,
प्रकृति तुम से खूबसूरत कौन हो रहा है ।।
रिमझिम -झिमझिम बारिश मे
झिलमिलाती हुई हवा चल रही है।।
सावन की गुहार पर महक फुलो की आ रही है ।
त्रि-नेत्र नयन शिव के खुल रहे है ।
अतिविशाल जटाएँ शिव बिखेर रहे है।
पर्वत हिम के जम रहे है ।
सितारे चाँद से चमक रहे है ।।
दृश्य प्रकृति के विहंगम बन रहे है !!
काली घटाएँ घनघोर गगन में छा रही हैं
महकती खुशबु रजा की धरा से आ रही हैं
मनोरम दृश्य प्रकृति का अतिविशिष्ट बन रहा है
गरजना बरसना बादल का चल रहा है ।।
आसमां अनुपम हो रहा है ,
प्रकृति तुम से खूबसूरत कौन हो रहा है ।।
रिमझिम -झिमझिम बारिश मे
झिलमिलाती हुई हवा चल रही है।।
सावन की गुहार पर महक फुलो की आ रही है ।
त्रि-नेत्र नयन शिव के खुल रहे है ।
अतिविशाल जटाएँ शिव बिखेर रहे है।
पर्वत हिम के जम रहे है ।
सितारे चाँद से चमक रहे है ।।
दृश्य प्रकृति के विहंगम बन रहे है !!
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