Friday, April 24, 2020

पंछि बनकर रहने दो

पंछि बनकर रहने दो

कैद मत करो
हम पंछियों को ,
नील गगन मे उडने दो
हम पंछि है ,
हमें पंछि बनकर रहने दो ।।

पर आसमां संग खुलने दो
एक लंबी उडान भरने दो ,
हम पंछि है ,
हमें पंछि बनकर रहने दो ।।

आश्रय मत दो टहनी पर
पर उनमुक्त गगन को चुमने दो
सुना है तुम मानव हो
हमें पंछि बनकर रहने दो ।।

गीत-गुंजन संग गाने दो
करलव शौर मचाने दो
क्षितिज आसमां मे उडने दो
हम पंछि है ,
हमें पंछि बनकर रहने दो ।।

बहता जल पीकर रहने वाले
दाना चुगकर जिने वाले
आजादी का अरमान लिए उडने दो
हम पंछि है ,
हमें पंछि बनकर रहने दो ।।

                                                              दीपांशु समदानी
Poems Addicted



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