अभियांत्रिकी
दोस्ती बनाने के साथ शुरू होती हैं,
न जाने अभियांत्रिकी कितने विषयों में खत्म होती हैं !
दोस्ती का संगम बनता हैं यहाँ ,
पर चार साल बाद कहीं पर भी ये संगम कहीं क्यों नहीं मिलता हैं ...?
यारों की यादें भी अब लम्हों के आगे झुक जाती हैं,
यहाँ इनके साथ की हुई मस्तीयाँ ही जिंदगी भर इनकी याद दिलाती हैं !!
हाँस्टल में रात भर जागकर महफिले सजती हैं ,
एक संग होकर पुरी रात भर धमाल मचती हैं !
दिवाली पर हाँस्टल के वार्डन पर बम फोडऩा,
होली पर रंगों के संग यारों से गुल-मिलना,
यहीं सब कहानियों से ही जिंदगी खुबसूरत बनती हैं !!
फिर परीक्षा की घनघोर काली राते आती हैं ,
फिर एक साथ बैठकर पढऩे की बारी आती हैं !
ये syllabus पुरा न हो जाए तब तक इस निशा को मत हरना , है भगवन!
नहीं तो RTU के पेपर में हस्ते हुए रोने की बारी आती हैं !!
बस यहीं यारों की यादें लम्हों के आगे झुक जाती हैं,
जब चार साल बाद इनसे दुर होने की बारी आती हैं
तब केवल आँखें आँसुओं से भर आती हैं !!
न जाने अभियांत्रिकी कितने विषयों में खत्म होती हैं !
दोस्ती का संगम बनता हैं यहाँ ,
पर चार साल बाद कहीं पर भी ये संगम कहीं क्यों नहीं मिलता हैं ...?
यारों की यादें भी अब लम्हों के आगे झुक जाती हैं,
यहाँ इनके साथ की हुई मस्तीयाँ ही जिंदगी भर इनकी याद दिलाती हैं !!
हाँस्टल में रात भर जागकर महफिले सजती हैं ,
एक संग होकर पुरी रात भर धमाल मचती हैं !
दिवाली पर हाँस्टल के वार्डन पर बम फोडऩा,
होली पर रंगों के संग यारों से गुल-मिलना,
यहीं सब कहानियों से ही जिंदगी खुबसूरत बनती हैं !!
फिर परीक्षा की घनघोर काली राते आती हैं ,
फिर एक साथ बैठकर पढऩे की बारी आती हैं !
ये syllabus पुरा न हो जाए तब तक इस निशा को मत हरना , है भगवन!
नहीं तो RTU के पेपर में हस्ते हुए रोने की बारी आती हैं !!
बस यहीं यारों की यादें लम्हों के आगे झुक जाती हैं,
जब चार साल बाद इनसे दुर होने की बारी आती हैं
तब केवल आँखें आँसुओं से भर आती हैं !!
Deepanshu Samdani
Poems Addicted
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